काश तुम ना होते मेरी जिंदगी में तो
शायद मेरी आत्मा थोड़ी सी जीवित होती।
एक झूठ की तरह नहीं जीती यह जिंदगी
कहीं तो थोड़ी सच्चाई होती।
मैं हर रात बिस्तर पर मुस्कुराती हूँ
संतुष्टि के भाव दिखाती हूँ।
उठती हूँ रोज़ सुबह
कुशल गृहणी का रोल निभाती हूँ।
मैं इतनी दक्ष हो चुकी हूँ अभिनय में
कि मैं अक्सर भूल जाती हूं
मैं किसी फिल्म का किरदार नहीं
मैं तो एक आम गृहणी हूँ।
हाँ मैं आम बन गयी हूँ
कुछ खास जैसा था मुझ में पहले
जिसे बचा पाने में मैं असमर्थ रही
डाल देती हूँ तुम पर अपने आंसुओं का दोष
और खुद मुक्त हो जाती हूँ।
नहीं करती आत्मा शोर अब
मैं चुपके से उसका मुँह तकिये से दबा देती हूँ।
मुझे लगता है यह जीवन रंगमंच है
और मैं बस एक कुशल अभिनेत्री हूँ।
सोनिया जाधव
#लेखनी काव्य प्रतियोगिता
#आत्मा
Ankit Raj
30-Oct-2021 10:56 AM
Wahh
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Swati chourasia
29-Oct-2021 08:50 PM
Very beautiful 👌
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Renu Singh"Radhe "
29-Oct-2021 07:56 PM
बहुत खूब
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